कटनी :- जनवरी की कड़कड़ाती हुई ठंड के बढ़तेहुए प्रकोप को देखते हुए जहां पर कुछ दिनों तक तो सूरज भगवान के दर्शन भी लोगों को नहीं हुए ऐसी कप - कपा देने वाली ठंड को बर्दाश्त करना सभी के लिए फिर चाहे बच्चे हो बुजुर्ग हो महिला हो सभी के लिए बहुत ही तकलीफदायक समय था । ऐसे समय पर मुस्कान ड्रीम्स फाउंडेशन समाजसेवी संस्था जो की लगातार कई वर्षों से ठंड के महीनों में हमेशा भिक्षा वृद्धि करने वाले लोग , बच्चों,बुजुर्गों , महिलाओं ,एवं पुरुषों ,और जरूरतमंद लोगों के बीच जाकर रेलवे स्टेशन,बस स्टैंड, मंदिरों के बाहर आदि जगहों पर जाकर गर्म कपड़ों और कंबलों का वितरण करती आ रही है।इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय और जिला प्रशासन से अनेकों बार सम्मानित अलंकृत समाजसेवी अधिवक्ता मंजूषा गौतम के नेतृत्व में किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि समाजसेवी भारती नागवानी , समाजसेवी अमिता श्रीवास्तव , रही। विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम का संचालन समाजसेवी पूनम बसरानी एवं समाजसेवी पूजा लालवानी नें किया |कार्यक्रम का मार्गदर्शन वृद्धा आश्रम की संस्थापिका समाजसेवी श्रीमति सरोज बच्चन एवं अशोक शर्मा के मार्गदर्शन में संपन्न किया गया |
इस बार मकर संक्रांति के महापर्व एवं लोहड़ी पर्व के अवसर पर वृद्धा आश्रम में जाकर मुस्कान ड्रीम फाउंडेशन के सभी पदाधिकारियों ने वहां पर रह रहे बुजुर्गों को गरम कंबलों का वितरण कर सभी को मकर संक्रांति और लोहड़ी पर्व की शुभकामनाएं देते हुए सभी बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस कार्यक्रम में शामिल रहे आशीष, प्रशांत,सजल , बसंत ,राजेंद्र गौतम, अजय मिश्रा, अजीत चौहान पंडित सम्राट गौतम एवं विराट गौतम ने सभी बुजुर्गों का एंव सभी सहयोगी जनों का आभार व्यक्त करते हुए सभी को धन्यवाद दिया। समाजसेवी मंजूषा गौतम ने सभी समर्थ वान लोगों से निवेदन किया है की ऐसे लोग भी गरीबों और जरूरतमंद एवं असहाय बेसहारा और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करने के लिए जरूर सामने आए । आपका दिया हुआ छोटा सा दान भी किसी गरीब की बहुत बड़ी मदद कर सकता है मदद करने में कभी भी पीछे ना रहे क्योंकि मानव धर्म ही सबसे बड़ा धर्म माना गया है। इस महाकुंभ में आप भी अपना थोड़ा सा सहयोग प्रदान करें। मंजूषा गौतम ने कहा कि मुस्कान ड्रीम फाउंडेशन के सभी सदस्य एवं पदाधिकारी हमेशा हर समय हर घड़ी जरूरतमंद बेसहारा और असहाय लोगों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। हमें किस रूप में भगवान के दर्शन हो जाएं यह कोई नहीं जानता और भगवान भी इन्हीं सबके बीच में ही मिलते हैं। भगवान का कोई रूप रंग नहीं होता है। कण -कण में भगवान बसते है।
अशोक कुमार मिश्रा
संपादक
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